TRANSMISSION (GEAR BOX) ट्रांसमिशन (गियर बॉक्स ) कैसे होते है

ट्रांसमिशन या  गियर बॉक्स एक मेकैनिकल उपकरण है जिसकी मदद से पावर को कुशलता के साथ इंजन से व्हील्स तक भेजा जाता है। जिससे इंजन जरुरत के हिसाब से चल पाए। इसमे गियर सेट का उपयोग होता है। गियर सेट से  दो या दो से अधिक गियर मिल कर किसी मशीन या इंजन  के घूर्णन या रोटेशन की स्पीड और डायरेक्शन को परिवर्तित करते है। कई गियरबॉक्स में बहुत से  गियर रेश्यो होते है। परन्तु कुछ में सिर्फ एक ही फिक्स्ड गियर रेश्यो होता है। आज के समय में ज्यादातर 5 से 8 फॉरवर्ड गियर और 1 रिवर्स गियर के गियर बॉक्स का उपयोग कार ,बस,आदि के पेट्रोल और डीजल के साथ होता है। वही इलेक्ट्रिक गाड़ीयों के साथ वन स्पीड या टू स्पीड गियरबॉक्स का उपयोग होता है। कुछ इलेक्ट्रिक गाड़ियों में तो इसको हटा ही दिया गया है जैसे टेसला। 

ट्रांसमिशन के प्रकार 

मैनुअल ट्रांसमिशन 

कांस्टेंट मैश ट्रांसमिशन आज कल के समय उपयोग में है इससे पहले स्लाइडिंग मेष टाइप के गियर बॉक्स उपयोग में आते थे। मैन्युअल ट्रांसमिशन में ड्राइवर को क्लच दबा के गियर स्टिक या लीवर  की मदद से  गियर सेलेक्ट करना पड़ता है। कार में क्लच पैर बाये पंजे पर और बाइक में बाये हाथ पर दिया होता है। कार में गियर स्टिक और बाइक में गियर लेवर जो की बाये पैर के पंजे  और भये हाथ पर रहता है। आज कल ज्यादातर मैन्युअल आधुनिक गाड़ियों में कांस्टेंट मैश ट्रांसमिशन उपयोग होता है .जिसमे तीन शाफ़्ट होती है एक इनपुट शाफ़्ट ,एक काउंटर शाफ्ट या लेशाफ़्ट और एक आउटपुट शाफ़्ट . इनपुट शाफ़्ट क्लच प्लेट के द्वारा इंजन से जुडी होती है। काउंटर शाफ़्ट में अलग अलग साइज के गियर लगे होते है। जो की इनपुट शाफ़्ट के गियर्स से लगातार संपर्क में  रहते है। आउटपुट शाफ़्ट के गियर भी काउंटर शाफ़्ट के गियर के संपर्क में रहते है। आउटपुट शाफ़्ट के गियर बेयरिंग की मदद से  आउटपुट शाफ़्ट पर स्वतंत्र रूप से घूमते रहते है।   

डॉग क्लच के मदद से गियर को गियर रेश्यो को सेलेक्ट किया जाता है। जब डॉग क्लच फ्री होता है तो न्यूट्रल होता है। अगर डॉग क्लच आउटपुट शाफ़्ट के गियर पर लग जाता है।   तो वो गियर आउटपुट शाफ़्ट उस गियर के अनुसार घूमने लगता है।   जिसकी जरुरत होती है वह सेलेक्टर फोर्क के द्वारा कण्ट्रोल किया जाता है और गियर के जरुरत के अनुसार शिफ्ट किया जाता है। इसके स्मूथ गियर शिफ्ट देने के लिए सिंक्रोमेश  या सिंक्रोनाइजर रिंग्स का उपयोग होता है। ये इनपुट शाफ़्ट के स्पीड के अनुसार गियर की स्पीड को बराबर करते है और गियर शिफ्ट आसान बनाते है।   

सेक़ुएसल गियरबॉक्स 

मोटरसाइकिल्स और रेस कार्स में इस प्रकार के गियरबॉक्स का उपयोग होता है। इसमें सिन्क्रोनस कांस्टेंट मेष गियर बॉक्स से जल्दी गियर शिफ्ट होता है। लेकिन इसमें ड्राइवर अगला या पिछले गियर क्रम में लगा सकता है। इसमें गलत गियर लगने की समस्या नहीं होती है।  सेक़ुएसल गियरबॉक्स में शिफ्ट लीवर रैचेट मेकनिस्म   पर काम करता है। इसमें शिफ्ट लीवर के मोशन को सिलेक्टर ड्रम जिसे बैरल भी कहते है। जिसमे 3 या 4 ट्रैक्स इसके परिधी पर होते है। सिलेक्टर फोर्क्स को ट्रैक्स के द्वारा गाइड किया जाता है इसे डायरेक्टली या सिलेक्टर ट्रैक्स से। ये ट्रैक्स परिधि से अगल होते है। जैसे ड्रम घूमता है सिलेक्टर फोर्क्स को जिस गियर की जरुरत होती है उसमे जाता है। ज्यादातर मोटरसाइकिल्स इसी गियर बॉक्स का उसे करते है। ड्राइवर गियर शिफ्ट को पाँव से सेलेक्ट करता है जिससे उसके हाथ हैंडल पर ही रहते है। 

ऑटोमैटिक और सेमी ऑटोमैटिक गियरबॉक्स

ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन में गियर चेंज करने के लिए ड्राइवर के द्वारा कोई भी इनपुट नहीं दिया जाता है। वही सेमी ऑटोमेटिक में कुछ चीजे ऑटोमेटेड होती है। परतु थोड़ा बहुत ड्राइवर का इनपुट जरुरी होता है जैस की गियर चेंज करे में या रुकी हुई गाड़ी को आगे बढ़ाने में। इसमें कुछ अलग अलग प्रकार के गियर बॉक्स आते है जैसे हाइड्रोलिक आटोमेटिक ,ड्यूल क्लच ट्रांसमिशन ,कॉन्टिनुआसली वेरिएबल ट्रांसमिशन ,ऑटोमेटेड मैन्युअल या क्लचलेस मैन्युअल। 

 हाइड्रोलिक आटोमेटिक

ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन का सबसे कॉमन डिज़ाइन हाइड्रोलिक ऑटोमेटिव ट्रांसमिशन होता है। ये प्लैनेटरी गियर सेट का उपयोग करता है है जो हाइड्रोलिक्स की मदद से चलते है। इसको फ्रिक्शन क्लच के बजाय टार्क कनवर्टर की मदद से इंजन से जोड़ा जाता है। गियर चेंज करने के लिए हाइड्रोलिक आटोमेटिक इंटरनल क्लचेस ,फ्रिक्शन बैंड या ब्रेक पैड का उपयोग होता है।इनका उपयोग गियर लॉक करने के लिए किया जाता है। जिससे हमे जिस टाइम पे जिस गियर रेश्यो की जरुरत होती है वो मिलता है।  इसमें इसप्रेग क्लच जो रूटीन गियर शिफ्ट में काम आता है। इसका फायदा यह है की ये क्लच रिलीज़ और प्लेनेटरी गियर सेट अप्लाई की टाइमिंग की सेंसिटिविटी को हटा देता है। आसान भाषा में कहे तो ये ड्राइवट्रैन का लोड उठता है और छोड़ता है जब अगला गियर का इस्प्रेग क्लच में टार्क ट्रांसफर होता है।  

फ्रिक्शन बैंड का उपयोग मैनुअली गियर डालने और रिवर्स के लिए होता है वही इस्प्रेग क्लच का उपयोग वर्दीवे या ड्राइव मोड के लिए होता है। फ्रिक्शन बैंड और क्लच ATF (आटोमेटिक ट्रांसमिसिन फ्लूइड) के द्वारा निंयत्रित किये जाते है। ATF को पंप के द्वारा प्रेसर दिया जाता है। इस पार्ट को  रूटीन सर्विस की जरुरत होती है। पंप जो ATF को प्रेसर देता है  इंजन के चलने पर ही काम करता है इसलिए इस प्रकार के कार को पुश स्टार्ट नहीं कर सकते है।  इस प्रकार के ट्रांसमिशन महंगे होते है इनके काम्प्लेक्स डिज़ाइन  के कारण इनका रिपेयर और बनने का समय बहुत ज्यादा होता है। 

डुअल  क्लच ट्रांसमिशन  (DCT) 

डुअल क्लच ट्रांसमिशन को अगर सरल भाषा  में समझे तो इसमें  दो अलग अलग क्लच  एक इवन गियर सेट और दूसरा ओड गियर सेट के लिए उपयोग होते है। इसका डिज़ाइन दो मैन्युअल ट्रांसमिशन जिनका अपना अलग क्लच हो एक ही हाउसिंग के अंदर हो और  एक यूनिट के जैसे काम करते हो, के जैसा होता है। ये कार और ट्रैक में आटोमेटिक ट्रांसमिशन के रूप में काम करता है जिसमे ड्राइवर के इनपुट की आवश्यकता नहीं होती है। DCT टायर को मिलने वाली टार्क को बिना रोके गियर शिफ्ट कर देती  है। इसमें क्लच पैक जैसे की मैन्युअल  में उपयोग होता है।इसमें टार्क कन्वर्टर उपयोग नहीं होता है।   

कॉन्टिनुसली वेरिएबल ट्रांसमिशन (CVT) 

CVT और ट्रांसमिशन से बहुत ही अलग तरीके से काम करता है। इसमें फिक्स्ड गियर सेट वाला गियरबॉक्स नहीं होता है। इसके बजाय इसमें एक अनोखा पुल्ली सिस्टम होता है जो बहुत सारे गियर रेश्यो देता है। इसमें सबसे ज्यादा और सबसे  कम रेश्यो के बीच बहुत से स्टेप या शिफ्ट मिलते है। इसके तीन बेसिक कॉम्पोनेन्ट होते है। 

1  हाई पावर मेटल और रबर बेल्ट 

2  एक  वेरिएबल इनपुट ड्राइविंग पुल्ली 

3  एक आउटपुट ड्रिवेन पुल्ली 

इसमें बहुत सेंसर और मिक्रोप्रोसेसर्स भी होते है। इसके पुल्ली बहुत जरुरी हिस्सा है इसके काम करने के। ये 20 -डिग्री  के कोन एक दूसरे को फेस करते है। बेल्ट इनके बीच बने ग्रूव में रहती है। जब दोनों पुल्ली के कोन्स एक दूसरे से दूर होते है (जब डायमीटर बढ़ता है ) बेल्ट ग्रूव के निचे हिस्से में चलती है और पुल्ली में बेल्ट लूप की रेडियस कम हो जाती है। जब कोन  नजदीक आते है (जब  डायमीटर काम होता है) तो बेल्ट ग्रूव के ऊपर हिस्से में चलती है। फिर पुल्ली  में बेल्ट लूप की रेडियस बाद जाती है। CVT पुल्ली को नियंत्रित  करने के लिए हाइड्रोलिक प्रेसर ,सेन्ट्रीफ्यूगल फ़ोर्स ,स्प्रिंग टेंशन का उपयोग करती है। जब एक पुल्ली अपनी रेडियस बढ़ती है तो दूसरी अपनी रेडियस काम करती है जिससे बेल्ट टाइट रहे। इस प्रकार दोनों पुल्ली अपनी रेडियस एक दूसरे के हिसाब से बदलते रहते है जिससे बहुत सारे गियर रेशयोज  जो की लौ से हाई और उस के बीच मै होते है मिलते है।  थ्योरी के हिसाब से यह इनफिनिट नंबर के गियर रेश्यो देता है वो भी किसी भी इंजन स्पीड पर। CVT का सिंपल होना इसे एक आदर्श ट्रांसमिशन बनाता है।    

ऑटोमेटेड मैन्युअल या क्लचलेस मैन्युअल (AMT)

ऑटोमेटेड मैन्युअल ट्रांसमिशन सरल भाषा में इसे एक मैन्युअल ट्रांसमिशन कह सकते है। जिसमे आटोमेटिक एक्टुएशन और सेंसर्स के मदद से क्लच और गियर को उपयोग में लाया जाता है। जिससे ड्राइवर को केवल रेस और ब्रेक के पेडल ही कण्ट्रोल करने होते है ऑटोमेटेड मैन्युअल ट्रांसमिशन  में इंजन के अंदर एक हाइड्रोलिक एक्टुएटर सिस्टम होता है। यह सिस्टम कार के ECU से जुड़ा होता है जो इसको इनपुट देता है और आउटपुट गियर और क्लच को जाता है। इसका जो गियर शिफ्ट का पैटर्न होता है वह प्रे प्रोग्राम्ड होता है जो की फैक्ट्री से सेट होके  आता है। तो जब भी आरपीएम एक निश्चित सीमा पर जाता है तो ECU अपने आप ही एक्टुएटर की मदद से क्लच और गियरबॉक्स को कण्ट्रोल करता है। इस प्रकार से AMT एक आटोमेटिक ट्रांसमिशन के रूप में काम करता है। इस प्रकार के गियरबॉक्स के साथ मैन्युअल गियर शिफ्ट करने का विकल्प भी कुछ गाड़ियों में मिलता है। कुछ गाड़ियों में गियर लीवर भी एक विकल्प के रूप में मिल जाता है। गाड़ी चलते समय आराम,बेहतरीन फ्यूल इकोनॉमी ,और सस्ता होना इसके इसको भारत के लिए बेहतर विकल्प बनता है। परन्तु कुछ नेगेटिव पॉइंट जैसे झटके वाले  गियर शिफ्ट और ओवरटेकिंग में दिक्कत और हिल और ढलान में सही से नहीं चलना है पर इसके पॉजिटिव पहलू इसके नेगेटिव पहलू को दबा देते है।  

नोट

ये सभी जानकारी सरल तरीके से गियरबॉक्स की जानकारी देने के लिए लिखी गयी है। गियरबॉक्स एक काफी जटिल संरचन होती है जिसको डिटेल में समझना काफी टेक्निकल हो जाता है। परन्तु अगर कोई रीडर अधिक जानकारी लेने चाहता है तो यूट्यूब पर बहुत डिटेल वीडियो उपलभ्ध है जिनसे आप इसे अच्छे से समझ सकते है।

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